P. Jayachandran Biography in Hindi: पी. जयचंद्रन मलयालम फिल्म और संगीत जगत के महान गायक थे, जिन्होंने अपने करियर में 16,000 से अधिक गाने गाए। उनका जन्म 3 मार्च 1944 को कोच्चि में हुआ और उन्होंने 1965 में गायक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। उनकी आवाज़ ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी सिनेमा में अलग पहचान बनाई। ‘शिव शंकर सरण सर्व विभो’ गीत के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। जयचंद्रन ने न केवल गायक के रूप में, बल्कि अभिनेता के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी। उनका योगदान भारतीय संगीत में अमूल्य है, और उनकी आवाज़ हमेशा याद की जाएगी।
पी. जयचंद्रन एक महान गायक की कहानी
पी. जयचंद्रन, जिन्हें मलयालम फिल्म और संगीत जगत के दिग्गज गायक के रूप में जाना जाता है, अब हमारे बीच नहीं रहे। 80 वर्ष की आयु में उनका निधन 9 जनवरी को त्रिशूर के अमला अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से बीमार थे और उपचाराधीन थे। जयचंद्रन ने अपने जीवन में 16,000 से अधिक गाने गाए, जो मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी जैसी भाषाओं में थे। उन्होंने अपने गायन के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और केरल सरकार का जेसी डैनियल पुरस्कार शामिल हैं।
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पूरा नाम | पलियाथ जयचंद्रन |
जन्म दिन | 3 मार्च 1944 |
जन्म स्थान | रवीपुरम, कोच्चि, भारत |
शिक्षा | जूलॉजी में स्नातक, क्राइस्ट कॉलेज |
गाने | 16000+ |
भाषाएँ | मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिंदी |
प्रमुख पुरस्कार | राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, जेसी डैनियल पुरस्कार |
मृत्यु दिन | 9 जनवरी 2025 (त्रिशूर के अमला अस्पताल में) |
करियर की शुरुआत
जयचंद्रन ने साल 1965 में फिल्मी गानों में कदम रखा था। उनका पहला गाना “ओरु मुल्लप्पूमाला” था, जिसे पी. भास्करन ने फिल्म कुंजाली मरैक्कार के लिए संगीतबद्ध किया था। हालांकि, उनकी पहली रिलीज़ गाना “मंजलाईल मुङ्गितोर्थि” था, जो फिल्म कालीथोजन में था। इसके बाद उनकी आवाज़ ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में धूम मचा दी।
जयचंद्रन न केवल एक गायक थे बल्कि उन्होंने नक्षत्रमन और त्रिवेंद्रम लॉज जैसी फिल्मों में अभिनय भी किया। उनके गायन ने उन्हें मलयालम संगीत प्रेमियों के दिलों में खास जगह दी।
पुरस्कार और उपलब्धियां
- जयचंद्रन के योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: “शिव शंकर सरण सर्व विभो” गीत के लिए।
- जेसी डैनियल पुरस्कार: केरल सरकार द्वारा दिया गया यह पुरस्कार उनके फिल्म उद्योग में योगदान के लिए था।
- केरल राज्य फिल्म पुरस्कार: 5 बार विजेता।
- तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार: 2 बार विजेता।
संगीत की दुनिया में प्रवेश
पी. जयचंद्रन का संगीत से जुड़ाव बचपन से ही था। उन्होंने मृदंग बजाना और छोटे गाने गाकर अपने करियर की शुरुआत की। 1958 के स्कूल आर्ट्स फेस्टिवल में उन्होंने मृदंगम प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया। यहीं उनकी मुलाकात महान गायक के. जे. यसुदास से हुई, जो शास्त्रीय संगीत में पहले स्थान पर थे।
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व्यक्तिगत जीवन
जयचंद्रन का जन्म 3 मार्च 1944 को कोच्चि के रवीपुरम में हुआ। उनके माता-पिता, त्रिपुनित्रा रविवर्मा कोचनियन और सुभद्रा कुंजम्मा के पांच बच्चों में वे तीसरे थे। उनका परिवार उनके बचपन में त्रिशूर के इरिंजालकुडा स्थानांतरित हो गया।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इरिंजालकुडा हाई स्कूल से पूरी की और स्नातक की पढ़ाई क्राइस्ट कॉलेज से जूलॉजी विषय में की।
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निष्कर्ष
पी. जयचंद्रन एक अद्वितीय प्रतिभाशाली गायक थे, जिन्होंने अपनी आवाज़ से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया। उनका संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि एक भावना थी, जो आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में गूंजती है। उनके द्वारा गाए गए गीत अमर रहेंगे और उनकी आवाज़ हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगी।
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FAQs
पी. जयचंद्रन का जन्म कब और कहां हुआ था?
पी. जयचंद्रन का जन्म 3 मार्च 1944 को कोच्चि के रवीपुरम में हुआ था।
पी. जयचंद्रन ने कितने गाने गाए?
इन्होंने 16,000 से अधिक गाने गाए, जो विभिन्न भाषाओं में थे।
पी. जयचंद्रन के सबसे प्रसिद्ध पुरस्कार कौन-कौन से हैं?
इनके राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, जेसी डैनियल पुरस्कार, केरल और तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार सबसे प्रसिद्ध पुरस्कार है।
जयचंद्रन ने फिल्मों में कब कदम रखा?
इन्होंने 1965 में कुंजाली मरैक्कार फिल्म के गाने से शुरुआत की थी।
पी. जयचंद्रन किस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता?
पी. जयचंद्रन ने फिल्म श्री नारायण गुरु के गीत ‘शिव शंकर सरण सर्व विभो’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।
पी. जयचंद्रन की शिक्षा कहाँ हुई?
इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इरिंजालकुडा हाई स्कूल से और स्नातक क्राइस्ट कॉलेज से पूरी की थी।