Sant Guru Ravidas Jayanti 2025 | 12 February Ko Kya Hai |12 फरवरी रविदास जयंती संत रविदास की जयंती के रूप में मनाई जाती है

Sant Guru Ravidas Jayanti 2025: रविदास जयंती महान संत रविदास जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। संत रविदास एक महान भक्ति कवि, समाज सुधारक और संत थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 15वीं-16वीं शताब्दी में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके दोहे और शिक्षाएं समानता, प्रेम और मानवता पर आधारित थीं।

संत रविदास जयंती 2025

तारीख: 12 फरवरी 2025 (माघ पूर्णिमा)
रविदास जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इसलिए, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है। रविदास जयंती विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

Sant Guru Ravidas Jayanti 2025
Sant Guru Ravidas Jayanti 2025

कैसे मनाई जाती है

  1. गुरु रविदास जी की पूजा-अर्चना – इस दिन उनके अनुयायी मंदिरों में उनकी प्रतिमा का पूजन करते हैं।
  2. नगर कीर्तन और शोभा यात्रा – उनके भक्त विशाल जुलूस निकालते हैं, जिसमें उनके दोहे और उपदेश गाए जाते हैं।
  3. सत्संग और कीर्तन – जगह-जगह भजन-कीर्तन और प्रवचन होते हैं, जहां उनके विचारों पर चर्चा की जाती है।
  4. विशेष पूजा-पाठ – इस दिन संत रविदास के मंदिरों में भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना की जाती है।
  5. लंगर (भोजन सेवा) – गुरुद्वारों और मंदिरों में मुफ्त भोजन (लंगर) का आयोजन किया जाता है।
  6. प्रवचन और भक्ति संगीत – इस दिन उनके दोहे और भजन गाए जाते हैं और उनकी शिक्षाओं पर प्रवचन होते हैं।
  7. गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ – कुछ स्थानों पर ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ का पाठ किया जाता है, क्योंकि संत रविदास के 40 से अधिक पद इसमें शामिल हैं।

संत रविदास का संदेश और विचार

  • जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई।
  • उन्होंने समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे पर जोर दिया।
  • उनका प्रसिद्ध दोहा –“मन चंगा तो कठौती में गंगा” (इसका अर्थ है कि यदि मन शुद्ध है, तो वही सच्ची पूजा है।)
  • उन्होंने जात-पात से ऊपर उठकर सभी को ईश्वर की भक्ति में लीन होने का संदेश दिया।
  • उन्होंने समाज में छुआछूत और ऊंच-नीच को गलत बताया और सबको समानता का अधिकार देने की बात कही।
  • वे खुद एक चर्मकार (मोची) थे और मेहनत की कमाई को सबसे श्रेष्ठ मानते थे।
  • उन्होंने कहा कि भजन-कीर्तन से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

संत रविदास जी का जीवन और शिक्षाएँ

संत रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। वे भक्ति आंदोलन के महान संतों में से एक थे और उन्होंने समाज में जातिवाद, भेदभाव और अज्ञानता के खिलाफ आवाज उठाई। वे एक समाज सुधारक, कवि और संत थे, जिन्होंने लोगों को प्रेम, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश दिया।

Sant Guru Ravidas Jayanti 2025
Sant Guru Ravidas Jayanti 2025

संत रविदास के विचारों का प्रभाव सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनकी शिक्षाएँ दुनिया भर में लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उनकी विचारधारा ने गुरु नानक, कबीरदास, मीरा बाई और अन्य भक्ति आंदोलन के संतों को भी प्रभावित किया।

संत रविदास के प्रसिद्ध दोहे

👉 “ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।
छोट-बड़े सब सम बसै, रैदास रहे प्रसन्न।।”
(अर्थ: मैं ऐसा राज्य चाहता हूँ जहाँ सभी को समान रूप से भोजन मिले और कोई ऊँच-नीच न हो।)

👉 “जात-पात के फेर में, उलझि रहि गयो संसार।
यह भेद भाव मिटाइके, कर ले सब को प्यार।।”
(अर्थ: दुनिया जात-पात में उलझी हुई है, लेकिन इसे मिटाकर सभी को प्रेम से मिलकर रहना चाहिए।)

मीरा बाई और संत रविदास

ऐसा माना जाता है कि राजस्थान की प्रसिद्ध भक्ति कवयित्री मीरा बाई संत रविदास की शिष्या थीं। मीरा बाई ने संत रविदास को अपना गुरु माना और उनसे आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की।

रविदास जयंती का महत्व

रविदास जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समानता, सामाजिक न्याय और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सभी मनुष्य एक समान हैं और हमें जात-पात से ऊपर उठकर प्रेम और सद्भावना से रहना चाहिए।

निष्कर्ष

संत रविदास की जयंती न केवल उनके अनुयायियों के लिए बल्कि सभी समाज के लिए प्रेरणादायक है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें समाज में समानता और प्रेम को बढ़ावा देने की प्रेरणा देते हैं।

हम आपसे उम्मीद करते हैं कि “Sant Guru Ravidas Jayanti 2025” लेख को आपको पढ़कर अच्छी जानकारी मिली होगी और पसंद आया होगा। इस लेख से संबंधित अगर आपका कोई भी राय या सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते हैं। आपको इस लेख को पूरी पढ़ने के लिए दिल से धन्यबाद। अगला लेख आपके बीच बहुत ही जल्द आएगा। कृपया “DND EDUCATION NEWS” को फॉलो करें।

12 फरवरी 2025 को और क्या मनाया जाता है

हालाँकि, आमतौर पर 12 फरवरी को भारत में स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती और अब्राहम लिंकन की जयंती के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, यह राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (National Productivity Day) के रूप में भी मनाया जाता है।

12 फरवरी 2025 (12th February 2025) को भारत में “राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस” (National Productivity Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा उत्पादकता, नवाचार और दक्षता बढ़ाने के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है।

इसके अलावा, इस दिन ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाएँ भी हुई हैं, जैसे:

  • 1949: सरोजिनी नायडू, भारत की पहली महिला राज्यपाल, का निधन।
  • 1922: चौरी चौरा कांड, जिसके कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।

FAQs

संत रविदास कौन थे?

संत रविदास एक महान भक्ति कवि, समाज सुधारक और संत थे जिन्होंने जात-पात और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था और उन्होंने प्रेम, समानता तथा श्रम के महत्व का संदेश दिया, जिससे वे आज भी लाखों लोगों के दिलों में बसी विरासत बन चुके हैं।

रविदास जयंती कब मनाई जाती है?

रविदास जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2025 में यह 12 फरवरी को मनाई जाएगी।

रविदास जयंती पर कौन-कौन से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं?

रविदास जयंती के अवसर पर संत रविदास के मंदिरों में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, नगर कीर्तन, प्रवचन और लंगर (मुफ्त भोजन सेवा) का आयोजन किया जाता है। लोग उनके दोहों और शिक्षाओं को याद करते हुए समाज में भाईचारे और समानता का संदेश फैलाते हैं।

संत रविदास की प्रमुख शिक्षाएँ क्या हैं?

संत रविदास की शिक्षाएँ मुख्य रूप से समानता, भक्ति, श्रम, और मानवता पर आधारित हैं। उन्होंने जात-पात, ऊँच-नीच और भेदभाव के खिलाफ संदेश दिया और लोगों को ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति तथा सामाजिक न्याय का पालन करने की प्रेरणा दी।

आधुनिक समाज पर संत रविदास की शिक्षाओं का क्या प्रभाव है?

संत रविदास की शिक्षाएँ आज भी समाज में समानता, सामाजिक न्याय, और आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करती हैं। उनके विचार न केवल धार्मिक समुदायों में, बल्कि व्यापक सामाजिक सुधार आंदोलनों में भी सकारात्मक बदलाव और एकता का संदेश देते हैं।

Share This Post

Leave a Comment