राम माधव की जीवनी : भारतीय राजनीति के प्रमुख नेता की कहानी । जाने उनके जीवन की महत्वपूर्ण राजनीतिक यात्रा और उनकी उपलबधिया के बारे मे:
Ram Madhav Biography in Hindi: राम माधव एक प्रभावशाली भारतीय राजनेता हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। 2014 से 2020 तक, वह राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी काम किया है। आरएसएस (RSS) में भी माधव ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। वह एक लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध हैं, अपनी पुस्तक ‘उनीसी पड़ोसी: युद्ध के 50 वर्ष बाद भारत और चीन’ के लिए जाने जाते हैं।
मुख्य बिंदु
- राम माधव एक प्रमुख भारतीय राजनेता हैं, जिन्होंने भाजपा में कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं।
- वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़े हुए हैं और इस संगठन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
- राम माधव एक प्रमुख लेखक भी हैं और उनकी पुस्तक ‘उनीसी पड़ोसी: युद्ध के 50 वर्ष बाद भारत और चीन’ काफी प्रसिद्ध है।
- वह राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर भी लिखते और बोलते हैं।
- माधव का जन्म 22 अगस्त, 1964 को आंध्र प्रदेश के अमलापुरम में हुआ था और उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय, कर्नाटक से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।
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राम माधव का जीवन परिचय | Ram Madhav Biography in Hindi
राम माधव एक भारतीय राजनीतिज्ञ नेता और अच्छे लेखक है। इनका जन्म 22 अगस्त 1964 को आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के अमलापुरम में हुआ था। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया और मैसूर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। इनका आरएसएस से जुड़ाव कम उम्र से ही रहा है। वह 1981 में पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने और संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
राम माधव ने उत्तर-पूर्व में भाजपा के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की।
पूरा नाम | वाराणसी राम माधव |
जनद दिन | 22 अगस्त 1964 |
जन्म स्थान | अमलापुरम, गोदावरी, आंध्र प्रदेश |
पेशा | राजनीति |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
राम माधव का आरएसएस से जुड़ाव
राम माधव का आरएसएस से जुड़ाव किशोरावस्था से ही रहा है। वह 1981 में पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने और संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उनकी भूमिका और योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में एक प्रमुख हस्ती के रूप में स्थापित किया।
इनका स्लोगन था कि – “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरा परिवार है और मैं इसका हिस्सा हूं।”
राम माधव का राजनीतिक करियर का उदय
राम माधव का भारतीय जनता पार्टी (BJP) में संलग्न होना काफी महत्वपूर्ण था। 2014 में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर, उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत में पार्टी का विस्तार किया और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया। इनको भाजपा में शामिल किया गया था क्योंकि वह पार्टी के लिए योगदान दे सकते थे। वह पहले से ही आरएसएस से जुड़े थे। उनके संपर्क ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन को संभव बनाया और पार्टी के प्रसार में मदद की। इनकी भूमिका ने उन्हें भाजपा में एक प्रमुख नेता बना दिया। उनकी प्रतिभा और क्षमता ने पार्टी में उनके स्थान को मजबूत किया।
वर्ष | पद |
2014 | राम माधव को भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के रूप में शामिल किया गया |
2003 | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्रवक्ता नियुक्त किया गया, एम.जी. वैद्य की जगह |
2016-2018 | राम माधव ने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
राम माधव का राष्ट्रीय राजनीति में योगदान
राम माधव ने राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने में मदद की। इसके अलावा, उन्होंने पार्टी को अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ (आईडीयू) में शामिल कराने में कामयाब रहे।
इन्होंने पीएफआई और आरएसएस की तुलना को लेकर कहा कि पीएफआई को आरएसएस से तुलना करना बड़ी भूल है। उन्होंने कहा कि आरएसएस देश के लिए अच्छा है, लेकिन पीएफआई आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। माधव ने संघ को देश के सभी वर्गों का एकीकरण करने वाला बताया है।
इन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इनका स्लोगन “आरएसएस देश को साथ लेकर चलने वाला संगठन है, जबकि पीएफआई देश में आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाला संगठन है।”
राम माधव का क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन
राम माधव के नेतृत्व में भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया। यह गठबंधन पार्टी के लिए मजबूत आधार स्थापित किया। इन गठबंधनों ने भाजपा को राज्यों में सत्ता में आने में मदद की।
- सिक्किम में, अप्रैल के चुनावों के बाद, भाजपा केवल 1.62% वोट प्राप्त कर सकी और कोई सीट नहीं जीत सकी।
- सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने चुनावों में 17 सीटें जीतीं, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) को हराकर।
- सिक्किम में एसडीएफ से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल होने का नोटिस लिया गया, जबकि एसडीएफ ने 25 साल तक राज्य में सत्ता में रहा था।
इनके नेतृत्व में भाजपा ने उत्तर-पूर्व में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को बढ़ाया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने क्षेत्रीय दलों के साथ संबंधों को मजबूत किया।
राम माधव की चुनौतियां और विवादित बयान
राम माधव के कुछ बयानों ने विवाद पैदा किया है। उन्होंने गोलवलकर के बारे में कहा कि उन्होंने ईसाइयों को “रक्तपिशाच” नहीं कहा था। मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को देश के लिए खतरा नहीं माना था। लेकिन, गोलवलकर की किताब “Bunch of Thoughts” में इन समुदायों को खतरा बताया गया है।
पुलवामा हमले के बारे में माधव पर आलोचना हुई है। सत्यपाल मलिक ने साक्षात्कार में सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने सीआरपीएफ और गृह मंत्रालय पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सुरक्षा इंतजाम में चूक की थी।
इनका विवादित बयान है कि गोलवलकर के “रक्तपिशाच” वाले बयान को लेकर राम माधव का खंडन जिजसे माधव कि काफी आलोचना हुई थी। राम माधव ने कई चुनौतियों का सामना किया है। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। आलोचना का सामना करना उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित कर रहा है।
राम माधव की प्रमुख पुस्तकें और लेखन
राम माधव एक प्रगतिशील भारतीय राजनेता हैं, जिनकी लेखन प्रतिभा बहुत प्रशंसित है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं, जो भारत और विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं। “उनीसी पड़ोसी: युद्ध के 50 वर्ष बाद भारत और चीन” एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें उन्होंने अपने विचारों को व्यक्त किया है। इस पुस्तक में इन्होंने भारत और चीन के संबंधों पर गहराई से चर्चा की है। उन्होंने 1962 के युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच के संबंधों का विश्लेषण किया है। साथ ही, उन्होंने भारत-चीन संबंध के भविष्य पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
“भारत और चीन के बीच के संबंध हमेशा से ही काफी जटिल रहे हैं। इस पुस्तक में मैंने इन संबंधों के गहन इतिहास और वर्तमान स्थिति को समझने का प्रयास किया है।”- राम माधव
पुस्तक में पुस्तकें और लेखन के अलावा, इन्होंने भारत और चीन के बीच के द्विपक्षीय संबंधों पर भी विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने इन संबंधों के इतिहास, वर्तमान स्थिति और भविष्य के पे्रक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
पुस्तक का नाम | प्रकाशन वर्ष |
उनीसी पड़ोसी: युद्ध के 50 वर्ष बाद भारत और चीन | 2017 |
डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी की ‘ए बायोग्राफी | 2003 |
कान्होजी आंग्रे की ‘द मराठा नेवल हीरो | 2013 |
राम माधव के विचार
रिपोर्ट के अनुसार, राम माधव ने भारत की विदेश नीति पर कई महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत को अपने पड़ोसी देशों में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल का मुकाबला करना चाहिए। इन्होंने कहा है कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने अपनी राय व्यक्त की है। अनुच्छेद 370 हटाने से शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
माधव का मानना है कि जनसंख्या असंतुलन एक गंभीर समस्या है। इसे संतुलित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। 1947 के बंटवारे पर उन्होंने अपनी राय व्यक्त की है। दिलों के बंटवारे को खत्म करने की जिम्मेदारी हिंदुओं के साथ ही मुसलमानों की भी है।
कुल मिलाकर, इन्होंने भारत की विदेश नीति, क्षेत्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय एकता पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए हैं। उनका दृष्टिकोण भारत की विदेश नीति और राजनीतिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है।
राम माधव का कहना है की – “भारत को क्षेत्र में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल का मुकाबला करना चाहिए।”
निष्कर्ष
राम माधव ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनकी राजनीतिक यात्रा और उपलब्धियां उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख नेता बनाती हैं। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में काम करते हुए, पार्टी को उत्तर-पूर्वी राज्यों में मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
माधव ने भारत और चीन के बीच संबंधों पर गहराई से विचार किया है और इस संबंध में अपने विचार प्रकाशित किए हैं। उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच संबंध चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन उन्हें प्रबंधित किया जा सकता है। वह भारत की विदेश नीति पर भी अपने विचार रखते रहते हैं।
भविष्य में, राम माधव के योगदान और अधिक महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है। उनकी राजनीतिक सफलता और राष्ट्रीय नेतृत्व के गुण उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाते हैं।
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FAQ
कौन हैं राम माधव?
राम माधव एक प्रमुख भारतीय राजनेता हैं, जिन्होंने भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्य किया और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। साथ ही, उन्होंने आरएसएस में भी कई भूमिकाएं निभाई हैं।
राम माधव का जन्म और शिक्षा के बारे में क्या है?
राम माधव का जन्म 1964 में आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में हुआ था। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और मैसूर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया।
राम माधव का आरएसएस से जुड़ाव कैसा रहा है?
राम माधव का आरएसएस से जुड़ाव किशोरावस्था से शुरू हुआ। 1981 में वह पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए और संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
राम माधव ने भारतीय जनता पार्टी में क्या योगदान दिया?
2014 में राम माधव को भाजपा में राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत में पार्टी का विस्तार और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी को अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ (आईडीयू) में शामिल कराने में भी मदद की।
राम माधव द्वारा उत्तर-पूर्व में भाजपा की सफलता के पीछे क्या रही?
राम माधव ने उत्तर-पूर्व में भाजपा के विस्तार और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की।
राम माधव के बयान और चुनौतियों के बारे में क्या जानते हैं?
राम माधव के कुछ बयान विवादित रहे हैं, जिन पर चर्चा हुई। उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें से कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी थीं।
राम माधव की प्रमुख पुस्तकें कौन-कौन सी हैं?
राम माधव ने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘उनीसी पड़ोसी: युद्ध के 50 वर्ष बाद भारत और चीन’ प्रसिद्ध है। इस पुस्तक में उन्होंने भारत और चीन के संबंधों पर चर्चा की है।
राम माधव के विचार और दृष्टिकोण क्या हैं?
राम माधव ने भारत की विदेश नीति पर कई महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत को क्षेत्र में अधिक सक्रिय होना चाहिए और चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल का मुकाबला करना चाहिए।
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