गोल्डेन गर्ल पैरालंपिक में जीतने वाली पहली भारतीय महिला अवनि लेखरा का जीवन परिचय | Avani Lekhara Biography in Hindi

Avani Lekhara Biography in Hindi: अवनि लेखरा राजस्थान की एक भारतीय पैरालंपिक और राइफल शूटर हैं। आज गोल्डेन गर्ल पैरालंपिक में जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन चुकी है। अवनि लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर के राजस्थान मे हुआ था। इन्होंने पेरिस में 2024 ग्रीष्मकालीन पैराओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग में स्वर्ण पदक जीता और टोक्यो में जीते गए स्वर्ण का बचाव किया, इस प्रकार से लगातार दो स्वर्ण जीतकर अवनि लेखरा ने इतिहास रचा और भारत का नाम रौशन किया।

अवनि लेखरा का जीवन परिचय

अवनी लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को राजस्थान के जयपुर (भारत) में हुआ था। इनका जीवन संघर्षों और उपलब्धियों से भरा हुआ है, जिससे वह आज दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं। इन्होंने अपने जीवन में जो चुनौतियाँ और संघर्षों का सामना किया है, वह एक साधारण इंसान के बस की बात नहीं है। इन्होंने केंद्रीय विद्यालय, जयपुर में पढ़ाई की और वहां से इन्होंने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता। अब वर्तमान में वे राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर रही है।

नाम अवनि लेखरा
जन्म दिन 8 नवंबर 2001
जन्म स्थान जयपुर, राजस्थान, भारत
पेशा पैरालिंपियन और राइफल शूटर

अवनि लेखरा की प्रारंभिक जीवन

अवनी लेखरा के बचपन के दिन भी हर दूसरे बच्चे जैसे ही थे। वह पढ़ाई में होशियार थीं और खेल-कूद में भी रुचि रखती थीं। लेकिन 2012 में जब वह मात्र 11 वर्ष की थीं, तब एक भयंकर कार दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोट लगी। इस दुर्घटना ने इनको व्हीलचेयर तक सीमित कर दिया। अवनि लेखरा पूरे 3 साल तक बिस्तर पर रही। इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया, लेकिन उनके हौसलों को तोड़ नहीं पाई। दुर्घटना के बाद अवनी लेखरा को जीवन से निराशा और हताशा का सामना करना पड़ा लेकिन अवनि लेखरा के पिता ने खेल मे काफी सहयोग किया क्योकि खेल के जरिये अवनि लेखरा का ठीक होने का काफी उम्मीद थी और अवनि लेखरा का खेल शौक भी था।

Avani Lekhara Biography in Hindi
Avani Lekhara Biography: Credit Instagram

फिर उनके माता-पिता और कोच के समर्थन ने उन्हें एक नई दिशा प्रदान की। इन्होंने निशानेबाजी और तीरंदाजी में अपनी रुचि दिखाई और अपने कोच की मदद से निशानेबाजी में अपना करियर बनाने का फैसला किया। इनका यह निर्णय आसान नहीं था, क्योंकि इस खेल मे न केवल मानसिक संतुलन बल्कि शारीरिक कौशल का भी होना जरूरी है। लेकिन अवनी लेखरा ने ठान लिया था कि वह हार नहीं मानेंगी और हार मानी भी नहीं।

अवनी लेखरा प्रेरणा की स्रोत है

अवनी लेखरा को निशाने बाजी में करियर बनाने की प्रेरणा पूर्व पैरालंपिक पदक विजेता अभिनव बिंद्रा से मिली थी। अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा पढ़कर इनको इस खेल में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। उन्होंने नियमित अभ्यास करना शुरू किया और धीरे-धीरे इस खेल में महारत हासिल कर ली। अवनी लेखरा को तो पहले से ही खेल मे रुचि थी लेकिन दुर्घटना के बाद भी अवनि लेखरा ने हार नहीं मानी, यही सबसे बड़ी इनकी प्रेरणा की स्रोत है। इनके परिवार ने भी उन्हें पूरा समर्थन दिया और हर कदम पर इनके साथ खड़े रहे।

अवनि लेखरा की प्रशिक्षण और संघर्ष

अवनी लेखरा के लिए निशानेबाजी का प्रशिक्षण लेना आसान नहीं था। उनकी शारीरिक स्थिति सही नहीं होने के कारण उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन इन्होंने हार मानने के बजाय अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाया और निरंतर प्रयास करते हुये आगे बढ़ती गई। अवनी लेखरा नियमित अभ्यास, ध्यान और मानसिक शक्ति पर काम किया क्योकि इस खेल मे सबसे ज्यादा अभ्यास, ध्यान और मानसिक शक्ति की ही जरूरत है। उनके कोच ने भी उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया।

अवनि लेखरा का टोक्यो पैरालंपिक खेल और सफलता

अवनी लेखरा ने बहुत ही कम समय में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी। साल 2015 में इन्होंने पहली बार राष्ट्रीय पैरा निशानेबाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। वहाँ से इन्होंने अपनी ज़िंदगी मे पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सभी को प्रभावित किया और अपने खेल को आगे बढ़ाई और इस खेल में महारत हासिल की। अवनी लेखरा का अब तक का सबसे बड़ा उपलब्धि तब आई जब इन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। यह पदक न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय था। अवनी ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में यह पदक जीता। वह पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गईं। इसके अलावा, उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक भी जीता।

Avani Lekhara Biography in Hindi
Avani Lekhara Biography: Credit Instagram

अवनि लेखरा को अवार्ड्स और सम्मान

टोक्यो पैरालंपिक में अवनी लेखरा की शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत सरकार द्वारा खेलों में उत्कृष्टता के लिए “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार” से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें राज्य और केंद्र सरकारों से भी कई सम्मान मिले। इनकी इस सफलता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रसिद्ध खिलाड़ी बना दिया।

अवनी केवल एक खिलाड़ी ही नहीं हैं, बल्कि वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी अच्छी तरह समझती हैं। वह अपने जीवन की कहानी के माध्यम से लोगों को प्रेरित करने का काम करती हैं। अवनी लेखरा ने कई मंचों पर अपने संघर्षों और सफलता की कहानी साझा की है, जिससे वह युवाओं और विशेषकर दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी क्योकि यह खुद ही दिव्यांग हैं। वह भविष्य में भी खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने की योजना बना रही हैं और देश के लिए और भी पदक जीतने का सपना देखती हैं।

साल अवार्ड्स
2021 खेल रत्न पुरस्कार, भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान
2021  यंग इंडियन ऑफ द ईयर (GQ इंडिया)
2021 वोग वुमन ऑफ द ईयर-वोग मैगज़ीन
2021 सर्वश्रेष्ठ महिला पदार्पण (अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति)
2022 पद्म श्री
2022 खेलों में उत्कृष्टता के लिए फिक्की एफएलओ पुरस्कार
2022 हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा शी (एज अवार्ड)
2022 पैरा एथलीट ऑफ द ईयर (महिला) – स्पोर्टस्टार
2022 बीबीसी इंडिया चेंज मेकर ऑफ़ द ईयर 2021
2022 ब्रिक्स सीसीआई डब्ल्यूई (ट्रेलब्लेज़र)
2024 स्वर्ण पदक

अवनि लेखरा का शक्ति का प्रतीक

अवनी लेखरा आज की युवा पीढ़ी के लिए नारी शक्ति का प्रतीक हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी में कुछ करने का जुनून और दृढ़ संकल्प हो, तो वह किसी भी परिस्थिति में जीत हासिल कर सकता है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। अवनी ने अपनी मुश्किलों को ताकत बनाया और दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की। अवनि लेखरा का दुर्घटना होने के वावजूद भी इनकी कहानी आज दुनिया के जुबान पर है।

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निष्कर्ष

अवनी लेखरा की जीवन यात्रा हमें यह सिख मिलती है कि कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे पार नही किया जा सके। अवनि लेखरा ने अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और कठिन संकल्प से अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी और पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का मिशाल बन गईं। उनके द्वारा हासिल की गई उपलब्धियाँ न केवल उन्हें गर्व का अनुभव कराती हैं, बल्कि उनके माता-पिता, कोच और पूरे देश का भी सीना फक्र से उचा करती हैं। अवनी लेखरा की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने अपनी सीमाओं को पार किया और असंभव को संभव कर दिखा दिया।

हम आपसे उम्मीद करते हैं कि “Avani Lekhara Biography in Hindi” लेख को आपको पढ़कर पसंद और आनंद आया होगा। इस लेख से संबंधित अगर आपका कोई भी राय या सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते हैं। आपको इस लेख को पूरी पढ़ने के लिए दिल से धन्यबाद। अगला लेख आपके बीच बहुत ही जल्द आएगा। कृपया “DND BIOGRAPHY” को फॉलो करें।

FAQs

अवनी लेखरा कौन हैं?

अवनी लेखरा भारत की एक प्रमुख पैरा निशानेबाज (पैरालंपिक शूटर) हैं, जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। वह भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता और भारत का नाम रौशन किया।

अवनी लेखरा का जन्म कब और कहां हुआ था?

अवनी लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान भारत में हुआ था।

अवनी लेखरा ने कौन-कौन से पदक जीते हैं?

अवनी लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक और 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है।

अवनी लेखरा किस खेल से जुड़ी हुई हैं?

अवनी लेखरा निशानेबाजी (शूटिंग) से जुड़ी हुई हैं, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलती है और कई प्रतियोगिताएँ जीती हैं।

अवनी लेखरा ने निशानेबाजी की ट्रेनिंग कहाँ से ली?

अवनी लेखरा ने अपनी निशानेबाजी की ट्रेनिंग जयपुर से ली।

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